ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार जातक के पूर्व जन्मों के किसी अपराध का दंड के परिणाम स्वरुप उसकी कुंडली में बनता है। जन्म कुण्डली में राहु और केतु के विशेष स्थिति में होने पर कालसर्प दोष बनता है। कुंडली के सप्तम भाव में केतु ग्रह विराजमान है और लग्न भाव में राहु विराजमान हो तथा बाकी ग्रह राहु-केतु के एक ओर स्थित हों तो कालसर्प दोष बनता है।
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार कालसर्प दोष से प्रभावित जातक की तबियत अक्सर ख़राब बनी रहती है। कालसर्प दोषसे प्रभावित जातक को बिज़नेस में नुकसान और आर्थिक रूप से समस्या आती है। कालसर्प दोषसे पीड़ित जातक को बिज़नेस में धोखा भी मिल सकता है।