भगवान शिव का वरदान माना जाता है शिव का एक मुखी रुद्राक्ष। एक मुखी रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान् शंकर के अश्रु से हुई है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति एक मुखी रुद्राक्ष धारण करता है, उसके आस पास अष्ट सिद्धियाँ भ्रमण करती है। और भगवान् शिव की कृपा प्राप्त होती है। ऐसे व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्त करते है।
ग्रह: सूर्य | भगवान: शिव | मंत्र: ऊं ह्रीं नम: |
दो मुखी रुद्राक्ष भगवान् शिव का अर्धनारीश्वर का प्रतीक माना जाता है। अगर किसी जातक की बुरी आदतें बहुत कोशिश करने के बाद भी नहीं जाती है, तो उस व्यक्ति के लिए दो मुखी रुद्राक्ष धारण करना वरदान और बहुत लाभकारी होता है। इस अभिमंत्रित 2 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से गौ ह्त्या का पाप भी दूर हो जाता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से शिव शक्ति दोनों का आशीर्वाद मिलता है, और यह रुद्राक्ष आत्म सम्मान और आत्म संदेह को बढाता है।
ग्रह: चंद्रमा | भगवान: अर्धनारीश्वकर | मंत्र: ऊं नम: |
दो मुखी रुद्राक्ष भगवान् शिव का अर्धनारीश्वर का प्रतीक माना जाता है। अगर किसी जातक की बुरी आदतें बहुत कोशिश करने के बाद भी नहीं जाती है, तो उस व्यक्ति के लिए दो मुखी रुद्राक्ष धारण करना वरदान और बहुत लाभकारी होता है। इस अभिमंत्रित 2 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से गौ ह्त्या का पाप भी दूर हो जाता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से शिव शक्ति दोनों का आशीर्वाद मिलता है, और यह रुद्राक्ष आत्म सम्मान और आत्म संदेह को बढाता है।
ग्रह: चंद्रमा | भगवान: अर्धनारीश्वकर | मंत्र: ऊं नम: |
दो मुखी रुद्राक्ष भगवान् शिव का अर्धनारीश्वर का प्रतीक माना जाता है। अगर किसी जातक की बुरी आदतें बहुत कोशिश करने के बाद भी नहीं जाती है, तो उस व्यक्ति के लिए दो मुखी रुद्राक्ष धारण करना वरदान और बहुत लाभकारी होता है। इस अभिमंत्रित 2 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से गौ ह्त्या का पाप भी दूर हो जाता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से शिव शक्ति दोनों का आशीर्वाद मिलता है, और यह रुद्राक्ष आत्म सम्मान और आत्म संदेह को बढाता है।
ग्रह: चंद्रमा | भगवान: अर्धनारीश्वकर | मंत्र: ऊं नम: |
दो मुखी रुद्राक्ष भगवान् शिव का अर्धनारीश्वर का प्रतीक माना जाता है। अगर किसी जातक की बुरी आदतें बहुत कोशिश करने के बाद भी नहीं जाती है, तो उस व्यक्ति के लिए दो मुखी रुद्राक्ष धारण करना वरदान और बहुत लाभकारी होता है। इस अभिमंत्रित 2 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से गौ ह्त्या का पाप भी दूर हो जाता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से शिव शक्ति दोनों का आशीर्वाद मिलता है, और यह रुद्राक्ष आत्म सम्मान और आत्म संदेह को बढाता है।
ग्रह: चंद्रमा | भगवान: अर्धनारीश्वकर | मंत्र: ऊं नम: |
ऐसा माना जाता है कि तीन मुखी रुद्राक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों शक्तियों का वास होता है। तीन मुखी रुद्राक्ष को अग्नि देव का स्वरुप माना जाता है। अभिमंत्रित तीन मुखी रुद्राक्ष को मंगल ग्रह से सम्बंधित माना गया है। ऐसा माना जाता है कि तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाला मोक्ष को प्राप्त करता है, और जीवन के सभी बन्धनों से मुक्त हो जाता है।
ग्रह: मंगल | भगवान: अग्निर देव | मंत्र: ऊं क्लीं नम: |
ऐसा माना जाता है कि तीन मुखी रुद्राक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों शक्तियों का वास होता है। तीन मुखी रुद्राक्ष को अग्नि देव का स्वरुप माना जाता है। अभिमंत्रित तीन मुखी रुद्राक्ष को मंगल ग्रह से सम्बंधित माना गया है। ऐसा माना जाता है कि तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाला मोक्ष को प्राप्त करता है, और जीवन के सभी बन्धनों से मुक्त हो जाता है।
ग्रह: मंगल | भगवान: अग्निर देव | मंत्र: ऊं क्लीं नम: |
4 मुखी रुद्राक्ष को ब्रह्मा जी का स्वरुप मना जाता है। चार मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से शिक्षा और ज्ञान में सफलता प्राप्त होती है। समरण शक्ति बढाने के लिए यह रुद्राक्ष बहुत ही लाभदायक सिद्ध होता है। शिक्षा, आयकर और लेखाकर्म विभाग में काम करने वालों को यह रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए।
ग्रह: बुध | भगवान: ब्रह्म देव | मंत्र: ऊं ह्रीं नम: |
4 मुखी रुद्राक्ष को ब्रह्मा जी का स्वरुप मना जाता है। चार मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से शिक्षा और ज्ञान में सफलता प्राप्त होती है। समरण शक्ति बढाने के लिए यह रुद्राक्ष बहुत ही लाभदायक सिद्ध होता है। शिक्षा, आयकर और लेखाकर्म विभाग में काम करने वालों को यह रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए।
ग्रह: बुध | भगवान: ब्रह्म देव | मंत्र: ऊं ह्रीं नम: |
5 मुखी रुद्राक्ष कालाग्नि के रूप में संसार में स्थापित है। इस पंच मुखी रुद्राक्ष पर पंच देवों की कृपा बरसती है। जिस कारण यह पंच तत्वों से निर्मित दोषों का नाश करता है। पंच देवों की कृपा होने के कारण से यह पांच मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। पांच मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से भगवान शिव, विष्णुं, गणेश, सूर्य और मां भगवती की कृपा प्राप्त होती है। इस रुद्राक्ष को बृहस्पति की कृपा के लिए भी धारण किया जाता है।
ग्रह: बृहस्पति | भगवान: कालाग्नि रुद्र | मंत्र: ऊं ह्रीं नम: |
5 मुखी रुद्राक्ष कालाग्नि के रूप में संसार में स्थापित है। इस पंच मुखी रुद्राक्ष पर पंच देवों की कृपा बरसती है। जिस कारण यह पंच तत्वों से निर्मित दोषों का नाश करता है। पंच देवों की कृपा होने के कारण से यह पांच मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। पांच मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से भगवान शिव, विष्णुं, गणेश, सूर्य और मां भगवती की कृपा प्राप्त होती है। इस रुद्राक्ष को बृहस्पति की कृपा के लिए भी धारण किया जाता है।
ग्रह: बृहस्पति | भगवान: कालाग्नि रुद्र | मंत्र: ऊं ह्रीं नम: |
छह मुखी रुद्राक्ष को भगवान् गणेश जी और कार्तिकेय जी का स्वरुप माना जाता है। महाशिवपुराण के अनुसार ब्रह्म हत्या आदि के पापों से मुक्ति प्रदान करने में यह रुद्राक्ष सहायक सिद्ध होता है। छह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से भगवान शिव, कार्तिकेय और शुक्र ग्रह की कृपा मिलती है।
ग्रह: शुक्र | भगवान: कार्तिकेय | मंत्र: ऊं ह्रीं हूं नम: |
छह मुखी रुद्राक्ष को भगवान् गणेश जी और कार्तिकेय जी का स्वरुप माना जाता है। महाशिवपुराण के अनुसार ब्रह्म हत्या आदि के पापों से मुक्ति प्रदान करने में यह रुद्राक्ष सहायक सिद्ध होता है। छह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से भगवान शिव, कार्तिकेय और शुक्र ग्रह की कृपा मिलती है।
ग्रह: शुक्र | भगवान: कार्तिकेय | मंत्र: ऊं ह्रीं हूं नम: |
7 मुखी रुद्राक्ष के अधिपति देवता माँ लक्ष्मी जी है। इस रुद्राक्ष का शुक्र ग्रह पर आधिपत्य होता है। 7 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से धन - सम्पद्दा और सुख समृद्धि में वृद्धि होती है। 7 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से लगातार ऐश्वर्य और मान - सम्मान में वृद्धि होती है।
ग्रह: शनि | भगवान: मां लक्ष्मी | मंत्र: ऊं हूं नम: |
7 मुखी रुद्राक्ष के अधिपति देवता माँ लक्ष्मी जी है। इस रुद्राक्ष का शुक्र ग्रह पर आधिपत्य होता है। 7 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से धन - सम्पद्दा और सुख समृद्धि में वृद्धि होती है। 7 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से लगातार ऐश्वर्य और मान - सम्मान में वृद्धि होती है।
ग्रह: शनि | भगवान: मां लक्ष्मी | मंत्र: ऊं हूं नम: |
भगवान गणेश 8 मुखी रुद्राक्ष को धारण करते हैं। भगवान् गणेश प्रथम पूज्य देवता हैं, जो किसी भी प्रकार के शुभ कार्य को करने से पहले पूजे होते हैं। जहां भगवान गणेश मौजूद हैं, वहां सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। श्रीमद् देवी भागवतम् और पद्म पुराण भगवान कार्तिकेय जैसे ग्रंथों के अनुसार, 8 मुखी रुद्राक्ष भी आशीर्वाद देता है। 8 मुखी रुद्राक्ष को भैरव देव का स्वरुप भी माना जाता है। आइये जानते हैं।
महाशिवपुराण के अनुसार नौ मुखी रुद्राक्ष को माँ भगवती की नौ शक्तियों का रूप माना जाता है। 9 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से धन सम्पत्ति, मान सम्मान, यश, कीर्ति और सभी प्रकार के सुखों की वृद्धि होती है।
अभिमंत्रित 9 मुखी रुद्राक्ष आखों की दृष्टि के लिए भी उपयोगी माना गया है। 9 मुखी रुद्राक्ष पर माँ भगवती की असीम अनुकम्पा होने से कवच का काम करता है। और शरीर को मानसिक एवं भौतिक दुखों से बचाता है। धारक की कीर्ति सर्वत्र फैलाता है। महाशिवपुराण के अनुसार देवी दुर्गा का स्वरुप होने के कारण से विशेष कर महिलाओं के लिए यह रुद्राक्ष अत्यंत उपयोगी है। नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करने से धीरे धीरे मन शांत हो जाता है। और लोगों के कल्याण की कामना करने लगता है।
10 मुखी रुद्राक्ष पर भगवान विष्णु का आधिपत्य रहता है। श्रीमद् देवीभागवत पुराण के अनुसार 10 मुखी रुद्राक्ष को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त है। अभिमंत्रित 10 मुखी रुद्राक्ष में भगवान विष्णु के दस अवतारों की शक्तियां समाई हुई हैं। 10 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से जातक के धन, प्रतिष्ठा में वृद्धि और सर्व कार्य सिद्ध हो जाते हैं।
11 मुखी रुद्राक्ष को भगवान् शिव का रौद्र रूप माना जाता है। अगर किसी जातक के घर - परिवार में किसी भी प्रकार की बाधा है, तो उनके लिए 11 मुखी रुद्राक्ष धारण करना वरदान साबित होता है।
11 मुखी रूद्राक्ष को प्रत्येक प्रकार के संकट क्लेश, उलझन व समस्याओं को दूर करने, अथवा पराक्रम, साहस और आत्मशक्ति को बढ़ाता है।
भगवान शंकर जिनके अक्ष के आंसू से रुद्राक्ष उत्पन्न हुआ है उन्हीं भगवान शिव के ग्यारह रुद्रों का प्रतीक है, ग्यारह मुखी रुद्राक्ष। इसके धारक को भगवान शंकर की कृपा पाने के लिए सबसे उत्तम रुद्राक्ष माना गया है।
12 मुखी रुद्राक्ष 12 पंथों से संबंधित है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार 12 मुखी रुद्राक्ष में 12 आदित्यों का तेज समाहित है। अभिमंत्रित 12 मुखी रुद्राक्ष पर भगवान सूर्य की भी विशेष कृपा बरसती है।
12 मुखी रुद्राक्ष भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है। 12 मुखी रुद्राक्ष भगवान् सूर्य से सम्बंधित हैं। सूर्य व्यक्ति को शक्तिशाली तथा तेजस्वी बनाता है। 12 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से सूर्य का ओज एवं तेज प्राप्त होता है।
ग्रह: शुक्र | राशि: तुला और वृषभ |
भगवान: इंद्र देव | मंत्र: ऊं ह्रीं नम: |
सिद्ध 13 मुखी रुद्राक्ष भगवान इन्द्र देव का स्वरुप है। और 13 मुखी रुद्राक्ष कामदेव का भी स्वरुप माना गया है। 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से सभी प्रकार की कामनाएँ पूर्ण होती हैं। आइये जानते हैं अभिमंत्रित 13 मुखी रुद्राक्ष के लाभ।
ग्रह: शनि | राशि: मकर और कुंभ |
भगवान: शिव | मंत्र: ऊं नम: |
शिव पुराणों के अनुसार 14 मुखी रुद्राक्ष को हनुमान जी का स्वरुप माना गया है। 14 मुखी रुद्राक्ष में भगवान हनुमान जी का निवास होने के कारण कोई भी बुरी बाधा, भूत, पिशाच व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुँचा पाता, व्यक्ति निर्भय होकर रहता है। अभिमंत्रित 14 मुखी रुद्राक्ष का धारण कर्ता सुख एवं शांति प्राप्त करता है। आइये जानते हैं 14 मुखी रुद्राक्ष के लाभ।
प्राकृतिक रूप से जुड़े दो रुद्राक्षों को गौरी शंकर रुद्राक्ष कहा जाता है। गौरी शंकर रुद्राक्ष माँ गौरी का प्रत्यक्ष स्वरुप है। जो जातक गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करता है उसे शिव शक्ति दोनों की कृपा प्राप्त होती है। यह रुद्राक्ष गृहस्थ सुख की प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। गौरी शंकर रुद्राक्ष एक दुर्लभ रुद्राक्ष है। परिवार में सुख - समृद्धि के लिए सबसे अच्छा और लाभदायक माना जाता है। आइये जानते हैं गौरी शंकर रुद्राक्ष के धारण विधि और लाभ
आप सभी जानते हैं कि भगवान गणेश शिव और पार्वती के पुत्र हैं और इसलिए गणेश रुद्राक्ष को विशेष रूप से भगवान् शिव और माँ पार्वती दोनों का ही आशीर्वाद प्राप्त है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। गणेश रुद्राक्ष पर भगवान गणेश की कृपा होती है, जिसे धारण करने वाले पर किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आती है और ऊपरी बाधाएं शरीर को छोड़ देती हैं। गणेश रुद्राक्ष को देखने पर भगवान गणेश की आंशिक आकृति उभरी दिखाई देती है। गणेश रुद्राक्ष को धारण करने से सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान हो जाता है। आइये जानते है गणेश रुद्राक्ष के लाभ